द केरला स्टोरी के बाद अब 'अजमेर-92' पर विवाद, क्या है 31 साल पहले सैकड़ों लड़कियों के साथ हुई हैवानियत का सच?

'द केरल स्टोरी' के बाद फिल्म 'अजमेर-92' को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. मुस्लिम संगठनों और दरगाह कमेटी ने इसका विरोध किया है। आरोप है कि फिल्म के जरिए मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। आइए आपको बताते हैं कि इस फिल्म को लेकर विवाद क्यों हो रहा है।

द केरला स्टोरी के बाद अब 'अजमेर-92' पर विवाद, क्या है 31 साल पहले सैकड़ों लड़कियों के साथ हुई हैवानियत का सच?
द केरला स्टोरी के बाद अब 'अजमेर-92' पर विवाद, क्या है 31 साल पहले सैकड़ों लड़कियों के साथ हुई हैवानियत का सच?

अजमेर: 'द केरल स्टोरी' के बाद फिल्म 'अजमेर-92' को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. मुस्लिम संगठनों और दरगाह कमेटी ने इसका विरोध किया है। आरोप है कि फिल्म के जरिए मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। आइए आपको बताते हैं कि इस फिल्म को लेकर विवाद क्यों हो रहा है।

साल 1992, जगह- राजस्थान का अजमेर जिला... ये है देश के सबसे बड़े कांड की कहानी। यह सैकड़ों छात्राओं के साथ हुई हैवानियत की कहानी है। एक ऐसी कहानी जिसे पढ़कर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। अप्रैल महीने की एक सुबह अचानक अजमेर के एक नामी कॉलेज की लड़कियों की आपत्तिजनक तस्वीरें वायरल होने लगती हैं. जिन लड़कियों की तस्वीरें शेयर की गईं, वे अमीर परिवारों की थीं। पता चला कि इन बच्चियों के साथ रेप हुआ। कुछ लड़कियों के साथ गैंगरेप किया गया। इस बात को अजमेर के छोटे से कस्बे में फैलते देर नहीं लगी। छात्राओं के साथ हैवानियत की कहानी हर किसी की जुबान पर है

एक स्थानीय अखबार में पीड़ित छात्राओं की तस्वीरों को धुंधला कर पहले पन्ने पर छाप दिया गया था। इसके बाद हंगामा हो गया। अजमेर का क्या, पूरे देश में इसकी चर्चा होने लगी। अखबार ने कुछ पीड़ितों के बयान भी छापे। छात्रों ने बयान में जो खुलासा किया उसे जानकर हर कोई हैरान रह गया। बयान में कहा गया है कि शहर के रईस परिवारों के कुछ लड़कों ने उसके साथ रेप किया.

एक लड़की से शुरू हुआ ये जघन्य सिलसिला 100 से ज्यादा लड़कियों तक पहुंच चुका था. दरअसल रेप के दौरान छात्राओं की आपत्तिजनक तस्वीरें ली गईं और फिर पूरे शहर में वायरल करने की धमकी दी गई. पीड़ित छात्रों को फोटो डिलीट करने का झांसा देकर अपने दूसरे दोस्त को साथ लाने को कहा। फिर उन्हें धमकी भी दी गई। इस तरह करीब 100 से ज्यादा छात्राएं उन दरिंदों के चंगुल में फंस गईं। अखबार में खबर छपने के बाद पुलिस ने अपनी जांच शुरू कर दी। पड़ताल में सामने आया कि आरोपी पीड़ित लड़कियों की तस्वीरें कैमरे की दुकानों पर बेचता था।

इस बार सिनेमा के जरिए जनता की अदालत तक पहुंचने वाला है मामला

बताया गया है कि 'अजमेर रेप कांड' पैसों, रसूख और राजनैतिक पहुंच के चलते दब गया। ये उस वक्त भले दब गया लेकिन ये मामला फिर उठने वाला है और इस बार सिनेमा के जरिए जनता की अदालत तक पहुंचने वाला है। हालांकि फिल्म के खिलाफ 'जमीयत उलमा-ए-हिंद' संगठन ने इसके खिलाफ आवाज उठाई है और इसके अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा है कि इस फिल्म के जरिए अजमेर शरीफ के दरगाह को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है । फिल्म पर बैन लगाने की मांग करते हुए इसपर आरोप लगाया जा रहा है कि एक आपराधिक घटना को धर्म से जोड़ा जा रहा है।

पुष्पेन्द्र सिंह के निर्देशन में बनी फिल्म में कई कलाकार

निर्देशक पुष्पेन्द्र सिंह की इस फिल्म में करण वर्मा, सुमित सिंह, राजेश शर्मा, ईशान मिश्रा, अनूप गौतम, मनोज जोशी, शहनवाज खान, सयाजी शिंदे जैसे कई कलाकार हैं। इस फिल्म में आदित्य पंचोली की वाइफ ज़रीना वहाब भी नजर आनेवाली हैं।

इस तरह ये तस्वीरें दुकानदारों के हाथ लग गईं। वे लड़कियों को ब्लैकमेल कर दुष्कर्म करने लगे। शहर में कांड देख छात्राएं तनाव में आ गईं। कई पीड़ितों ने आत्महत्या कर ली। जांच का एक और चौंकाने वाला पहलू सामने आया। दरअसल इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वाले आरोपी एक संपन्न परिवार से ताल्लुक रखते हैं.

इस मामले के मुख्य आरोपी फारूक चिश्ती, नफीस चिश्ती, अनवर चिश्ती थे. तीनों युवा कांग्रेस में भी अहम पदों पर थे। इसके अलावा वे अजमेर के प्रसिद्ध चिश्ती परिवार से भी ताल्लुक रखते थे। पुलिस की जांच के बाद मामला कोर्ट पहुंचा। काफी सुनवाई के बाद 18 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। आठ जनवरी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। कुछ आरोपी अभी भी फरार हैं।