जोधपुर की यह अपणायत और आपसी प्रेम इसकी असल कमाई है यहां मन मुटाव हो या चाहे हाथापाई किसी के सम्मान को ठेस नहीं पहुंचाई जाती फिर ऐसा क्या था जिसने जोधपुर को एक धार्मिक उन्माद में झोंक दिया यह चिंतन का विषय है

जोधपुर की यह अपणायत और आपसी प्रेम इसकी असल कमाई है यहां मन मुटाव हो या चाहे हाथापाई किसी के सम्मान को ठेस नहीं पहुंचाई जाती फिर ऐसा क्या था जिसने जोधपुर को एक धार्मिक उन्माद में झोंक दिया यह चिंतन का विषय है
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राजस्थान क्रॉनिकल के लिये जोधपुर से कमल सुल्ताना कि रिपोर्ट : मुझे आपसे इस अशिष्टता की उम्मीद नहीं थी आप उस जोधपुर से है जहां अगर किसी के बीच हाथापाई भी हो जाए तो कहते है 'म्हारी जूतियां आप रे माथे ऊपर बिराज जावेला.'भारतीय जनसंचार संस्थान के छात्र प्रताप के एक सवाल से चिढ़ते हुए एनडीए सरकार की कैबिनेट मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा था.

जोधपुर की यह अपणायत और आपसी प्रेम इसकी असल कमाई है.यहां मन मुटाव हो या चाहे हाथापाई किसी के सम्मान को ठेस नहीं पहुंचाई जाती फिर ऐसा क्या था जिसने जोधपुर को एक धार्मिक उन्माद में झोंक दिया यह चिंतन का विषय है.राजस्थान चुनावों के एकदम नजदीक खड़ा है और इस बार का चुनाव पूर्णतः साम्प्रदायिक रंग में रंगने को तैयार है लेकिन राजनीतिक दलों को यह समझना चाहिए कि राजस्थान ऐसे धार्मिक उन्मादों की आदी धरती नही है.यहां महाराणा प्रताप का सेनापति हकीम खां सूर होता है और अकबर का सेनापति मान सिंह.


अलवर और करौली से होते हुए उन्माद एक बार जोधपुर की चौखट पहुंचा है.दरअसल जोधपुर के जालौरी गेट पर दो तारीख की शाम को स्वतंत्रता सैनानी बिरसा मुंडे की मूर्ति पर साज सज्जा और झंडा लगाने को लेकर दो समुदायों के बीच झड़प हो गई.जालोरी गेट के पास में ही एक बड़ी मस्जिद है जहां ईद के दिन नमाज अता की जाती है जिसके लिए तैयारी लाउड स्पीकर और झंडे लगाने वाले युवाओं का कुछ दूसरे संप्रदाय के लोगो ने विरोध किया.इस तरह से हाथापाई से मामला और गर्म हो गया.मौजूदा भीड़ पर आरोप है कि गुस्साए लोगों ने झंडे और बैनर फाड़ दिए.इस तरह की घटना के बीच दोनो पक्षों से पत्थरबाजी शुरू हो गई.इस घटना को विकराल रूप धारण करता देख पुलिस प्रशासन मुस्तैद हुआ और आसूं गैस के गोले दागकर और लाठीचार्ज करके दोनो पक्षों को अलग थलग कर दिया. देर रात एक बजे के आसपास दोनो गुटो की भारी पत्थरबाजी के चंगुल से जोधपुर शहर बच निकला.

पुरानी कहावत है कि शांत पानी में पत्थर फेंको तो लहरें दूर तक जाती है और यही जोधपुर में हुआ इस घटना ने धार्मिक विद्वेष का रूप धारण कर लिया.रात्रि कालीन घटना के बाद स्थितियां सुधरने के बजाय ओर अधिक बिगड़ गई और देखते ही देखते हालात नियंत्रण से बाहर हो गए.तीन मई को सुबह ईद की नमाज अता की गई.नमाज अता करने के बाद एक बार फिर से जोधपुर धार्मिक उन्माद की जद में फंस गया.

दैनिक भास्कर के मुताबिक दीपक नाम का एक युवक अपने दादाजी के लिए दवाइयां लेने जोधपुर गया था लेकिन दंगाइयों ने उसके साथ हिंसक बर्ताव शुरू कर दिया.जिसके बाद दीपक की पीठ पर छुरा घोप दिया और वह घायल हो गया फिलहाल वह महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती है.ऐसा ही कुछ बोहरों की पोल निवासी मुकुंद बोहरा के साथ हुआ.मुकुंद शादी समारोहों में साउंड का काम करता है जब 3 मई की सुबह जालोरी गेट पहुंचा तो वहां खड़े कुछ लोगों ने उसे घेरकर उसका नाम पूछा और हिंसक बर्ताव पर उतर आए जिसके बाद मुकुंद का पैर टूट गया.उपद्रवियों पर क़ाबू पाने के लिए स्थानीय पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया.हालत को नियंत्रण में करने के लिए शहर में जगह जगह पर अतिरिक्त पुलिस बल को तैनात कर दिया गया है.हालत बिगड़ते देख जोधपुर कमिश्नरेट के दस पुलिस थानों के इलाके में क़र्फ्यू लगा दिया गया है हिंसा के बाद इंटरनेट सेवा भी बाधित कर दी गई.

जोधपुर हिंसा से जुड़े मामले में अब तक 141 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 12 FIR दर्ज की गई है जिनमें से पुलिस ने 4 और लोगों ने 8 एफआईआर दर्ज करवाई है. वहीं हिंसा में 9 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. - डीजीपी एमएल लाठर


ईद की नमाज़ के बाद फिर से हुई हिंसा के बाद प्रशासन ने 4 मई की मध्यरात्रि तक के लिए दस थाना इलकों में कर्फ्यू लगाया है.

सुरक्षा को देखते हुए पुलिस ने आवाजाही पर रोक लगा दी है. आखालिया चौराहा, सोजती गेट सहित अन्य क्षेत्रों से रास्ते बंद कर दिए गए हैं. इस मामले को पुलिस-प्रशासन बेहद गंभीरता से ले रही है.

घटना को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जोधपुर कलक्टर से बात की है और शांति व्यवस्था बनाने के लिए निर्देश दिए हैं. जगह जगह बैरिकेडिंग की गई है. जोधपुर रेंज आईजी, समेत आला अधिकारी निगरानी कर रहे हैं और पुलिस ने मार्च भी निकाला गया है.

घटना का राजनीतीकरण

भारतीय राजनीति इस हालात में पहुंच गई है की नेतागण धार्मिक उन्माद और शवों पर राजनीति करने से भी गुरेज नहीं आते.एक और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जोधपुर में आयोजित हुई घटना को छुटपुट घटना करार देकर इसे अनदेखा करने की कोशिश की वही दूसरी ओर भारत सरकार के कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत  समझाइश के अपने ट्वीट से ऐसा दर्शा रहे है

मानो यह धार्मिक उन्माद नही राजनीतिक तुष्टिकरण है.इधर धार्मिक मुद्दो पर सर्वाधिक सक्रिय रहने वाले असद्दुद्दीन ओवैसी भी इस समर में कूद पड़े है.इससे इतर कुछ विधायक एक तरफा फोटो ट्वीट करके प्रदेश में शांति व्यवस्था का मखौल उड़ा रहे है और प्रशासन आंखे मूंद टुकर टुकर निहार रहा है.

आम ओ खास की चिंताएं

यह सब घटनाए उस जोधपुर की थी जो अपने संयम और स्नेह - प्रेम के लिए संपूर्ण विश्व में ख्यात था.जो जोधपुर आजादी के बाद भी संगठित रहा था.इस घटना को लेकर जोधपुर के पूर्व महाराजा गज सिंह जोधपुर ने भी रोष जताया और भावुक अपील के साथ लिखा कि "मेरे दादोसा उम्मेद सिंह जी ने हमेशा कहा कि हिंदू मुस्लिम मेरी दोनो आंखे है और विभाजन के समय मेरे पिताजी हनवंत सिंह जी ने हमे अलग अलग बंटने नही दिया."