यूरोपियन यूनियन और यूरोपियन डिसेबिलिटी फोरम के साथ साइटसेवर्स ने लॉन्च की 'नथिंग अबाउट अस, विदाउट अस
विकलांग लोगों के एम्पॉवरिंग ऑर्गेनाइज़ेशन्स की कहानियाँ
मार्च : सतत विकास लक्ष्यों के लिए साझेदारी के हिस्से के रूप में, यूरोपियन यूनियन द्वारा समर्थित विकलांग लोगों के एम्पॉवरिंग ऑर्गेनाइज़ेशन्स, साइटसेवर ने यूरोपियन डिसेबिलिटी फोरम के साथ एक केस स्टोरी बुक लॉन्च की है, जिसका शीर्षक है 'नथिंग अबाउट अस, विदाउट अस!' ये विकलांग लोगों के एम्पॉवरिंग ऑर्गेनाइज़ेशन्स की कहानियाँ हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान के 15 जिलों के विकलांग लोगों के ऑर्गेनाइज़ेशन्स (ओपीडी) ने आजीविका, पहुँच, अधिकार, सशक्तिकरण और भागीदारी के बारे में अपनी कहानियाँ साझा कीं। इसमें भारत के पाँच राज्यों से पलटाव और धैर्य की दस शक्तिशाली कहानियाँ शामिल हैं।
यह प्रोजेक्ट विकलांग लोगों को 2030 एजेंडा के कार्यान्वयन में शामिल होने, आकार देने और इसे मॉनिटर करने में सहायता करता है। 2018 से, साइटसेवर्स का उक्त प्रोजेक्ट यह सुनिश्चित करने की दिशा में कार्यरत है कि विकलांग महिलाएँ और पुरुष किस तरह भारत में सतत विकास के लक्ष्यों के कार्यान्वयन को शामिल करते हैं, आकार देते हैं और उन्हें मॉनिटर करते हैं। 15 ओपीडी के साथ काम करते हुए, प्रोजेक्ट ने भारतीय ओपीडी और यूरोपियन डिसेबिलिटी फोरम के बीच नीतिगत संवाद और साझेदारी को मजबूत किया है।
आरएन मोहंती, सीईओ, साइटसेवर्स इंडिया कहते हैं, "सतत विकास के लक्ष्यों के लिए साझेदारी की नींव रखते हुए विकलांग लोगों के सशक्तिकरण और अपनी क्षमता निर्माण पहल के माध्यम से ग्रामीण ओपीडी को सक्षम बनाया गया है, जो विकलांग लोगों के लिए एसडीजी के कार्यान्वयन, आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम के कार्यान्वयन और स्थानीय जवाबदेही तंत्र के लिए सरकार के साथ जुड़ने का ऑर्गेनाइज़ेशन है। प्रोजेक्ट वास्तविक ठोस कारणों के साथ स्वतंत्र और संरचित वकालत करने के लिए कई विकलांग लोगों को सक्षम करने में कारगर साबित हुआ है। ईडीएफ और ईयू के साथ साझेदारी ने साइटसेवर्स में हमारे लिए जबरदस्त मूल्य जोड़ा है और हम विश्व के अपने साझा दृष्टिकोण के माध्यम से इन महत्वपूर्ण साझेदारियों को जारी रखने की आशा करते हैं।"
प्रत्येक कहानी जमीनी स्तर की कई चुनौतियों को प्रस्तुत करती है, जो भारत के दूरदराज के इलाकों में विकलांग लोगों को उनकी क्षमता का एहसास कराने के इर्द-गिर्द घूमती है। जब आप हुसैन बी की कहानी पढ़ते हैं, जो महामारी के लॉकडाउन में आजीविका सुरक्षित करने से संबंधित है, आप पाएँगे कि कैसे विकलांग महिलाएँ राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान भी वंचित लोगों को उच्च गुणवत्ता वाला किफायती भोजन देने में कुशल पेशेवर हो सकती हैं।
कैथरीन नॉटन, डायरेक्टर, यूरोपियन डिसेबिलिटी फोरम कहती हैं, "प्रोजेक्ट का हिस्सा बनना हमारे लिए बेहद खुशी और सम्मान की बात है। हमें प्रोजेक्ट के सभी साझेदारों के साथ काम करने में बहुत आनंद आया और मेरी आप सभी से दरखास्त है कि भारत में विकलांग लोगों की शिक्षा, रोजगार, परिवहन और निश्चित रूप से कोविड-19 महामारी के प्रभाव के बारे में बात करती प्रत्यक्ष कहानियों के लिए इस प्रकाशन को जरूर पढ़ें।"
बियॉन्ड बॉर्डर्स शीर्षक वाली कहानी दिसंबर 2018 में यूरोपियन डिसेबिलिटी और विकास सप्ताह के दौरान ब्रसेल्स की एक्सपोज़र यात्राओं के अद्भुत प्रभाव को दर्शाती है। इस सफर ने भारत में ओपीडी सदस्यों की आँखें खोल दी थी, जिस प्रकार इसने उन्हें दुनिया का अन्य पहलु देखने का हुनर सिखाया, साथ ही उन्हें उन विचारों का पता लगाने की अनुमति दी, जिन्हें स्थानीय जरूरतों के लिए अनुकूलित किया जा सकता है। जबकि ओपीडी सदस्य अपनी यूरोपियन यात्रा से बहुत समृद्ध थे, उन्होंने यूरोपियन देशों में उपलब्ध नहीं कराए गए संसाधनों के बावजूद अन्य देशों के प्रतिनिधियों को जमीनी स्तर पर किए गए काम और उपलब्धियों से प्रेरित किया।
एंड्रयू ग्रिफिथ्स, एडवोकेसी के प्रमुख, पॉलिसी एंड प्रोग्राम स्ट्रैटेजी, साइटसेवर्स कहते हैं, "कुछ काम, जो मैंने भारत में ओपीडी के साथ देखे हैं, यूरोप में ओपीडी के साथ कुछ उपकरण विकसित किए गए हैं, जिन्हें विकलांगता समावेशन स्कोरकार्ड जैसी चीजों ने बदल कर रख दिया है। पुस्तक में जिन सफलताओं पर प्रकाश डाला गया है, वे अपने आप में एक मिसाल हैं।"
भारत के 15 जिलों और 5 राज्यों में इस लक्षित क्षमता-निर्माण और वकालत प्रोजेक्ट ने 11,152 लोगों के लिए विकलांगता के प्रमाणीकरण की सुविधा प्रदान की है, 8,144 लोगों को विकलांगता पेंशन प्रदान की है और विकलांग लोगों को मतदाता पहचान-पत्र जारी करने का समर्थन किया है।