चारधाम यात्रा : प्रकृति के स्वरूप को भूल चुके श्रद्धालु ,चेतावनी ही जीवन के लिए बड़ा खतरा

हिंदुओं द्वारा सबसे पवित्र मानी जाने वाली चारधाम यात्रा में बड़ी संख्या में भक्तों का तांता लगा रहा। भारतीयों द्वारा इस यात्रा को बहुत पवित्र माना जाता है। इस यात्रा में श्रद्धालुओं का काफी पैसा खर्च होता है। वह क्षेत्र अत्यंत महत्वपूर्ण है।लेकिन, भक्त यह सब भूल चुके हैं..

चारधाम यात्रा : प्रकृति के स्वरूप को भूल चुके श्रद्धालु ,चेतावनी ही जीवन के लिए बड़ा खतरा

राजस्थान क्रॉनिकल रिपोर्ट :हिंदुओं द्वारा सबसे पवित्र मानी जाने वाली चारधाम यात्रा में बड़ी संख्या में भक्तों का तांता लगा रहा। भारतीयों द्वारा इस यात्रा को बहुत पवित्र माना जाता है। इस यात्रा में श्रद्धालुओं का काफी पैसा खर्च होता है। वह क्षेत्र अत्यंत महत्वपूर्ण है।लेकिन, भक्त यह सब भूल चुके हैं.. वे वातावरण और आसपास के क्षेत्रों को प्रदूषित कर रहे हैं। इस साल चारधाम यात्रा पर निकले कुछ श्रद्धालुओं ने तो नियमों का बिल्कुल भी पालन नहीं किया। अधिकारी इस बात से नाराज हैं कि प्लास्टिक बैग, प्लास्टिक बैग और कचरा वहां डंप किया जा रहा है। यह इलाका कूड़ेदान में तब्दील हो गया था।इस मामले की पहचान राष्ट्रीय मीडिया आउटलेट्स ने की और तस्वीरें साझा की गईं। आदेश में कहा गया है कि यह तीर्थयात्रियों के बीच जागरूकता बढ़ाने की कोशिश कर रहा है

जैसे ही तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, नेटिज़न्स ने शिकायत की कि प्लास्टिक मंदिर और उसके वातावरण को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है। पर्यावरणविदों का कहना है कि चारधाम जैसे संवेदनशील इलाकों में प्लास्टिक से अनावश्यक परेशानी नहीं होनी चाहिए। यह पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक बड़ा जोखिम है। इसी क्रम में उत्तराखंड में सभी को एक बार में 2013 की त्रासदी को याद करने की चेतावनी दी जाती है। सिर्फ गर्भ में भगवान को देखना नहीं.. प्रकृति में भी देवत्व देखना चाहते हैं।