साइकिल यात्रा के जरिये पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने वाले नरपतसिंह के साथ साक्षात्कार

देश भर में मैंने साइकिल यात्रा कर 93 हजार से अधिक पौधे लगाए हैं और लोगों को पर्यावरण व जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया है। मैंने सबसे लंबी साइकिल यात्रा का विश्व रिकॉर्ड भी अपने नाम किया है, जिसकी कई राज्यों के मुख्यमंत्री ने भी सराहना की है।

साइकिल यात्रा के जरिये पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने वाले नरपतसिंह के साथ साक्षात्कार

बाड़मेर: नरपतसिंह साइकिल यात्रा के जरिये पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे है 

बहन को दहेज में पौधे

इस काम में परिवार ने भी मेरा पूरा साथ दिया। छोटी बहन की शादी में मैंने ट्रॉली में भरकर बहन को 251 पौधे दहेज में दिए थे, जिसकी हर ओर सराहना हुई थी और हाल ही में भतीजी को भी मैने 151 पौधे दहेज में दिए है। पर्यावरण के प्रति मेरे प्रेम को देखकर आज लोग मुझे ग्रीनमैन ऑफ इंडिया' कहकर बुलाते हैं।

मैं राजस्थान के बाड़मेर के लंगेरा गांव का निवासी हूं। बचपन से ही मेरा प्रकृति से काफी लगाव रहा है, इसीलिए मैं पर्यावरण संरक्षण के लिए कुछ करना चाहता था एक बार एक स्कूल में शिक्षक ने छात्रों को कहा कि जो छात्र ज्यादा पौधे लगाएगा, उसे ज्यादा चॉकलेट मिलेंगे। इससे प्रेरित होकर मैंने भी संकल्प लिया कि देश भर में यात्रा करके लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करूंगा। अप्रैल, 2017 से मैंने इस मुहिम की शुरुआत की और साइकिल से देश भर की यात्रा करके जगह-जगह खुद पौधे लगाए और लोगों को पर्यावरण व जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने लगा। आज भी मेरी यह मुहिम जारी है। मैं हर व्यक्ति को जीवन में कम से कम दो पौधे लगाने के लिए प्रेरित करता हूं। एक पौधा इसलिए, ताकि हम सांस ले सकें और दूसरा अंतिम सांस के लिए, ताकि मृत्यु के बाद लकड़ी से अंत्येष्टि हो सके। साइकिल यात्रा के दौरान मुझे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, फिर भी मैंने हार नहीं मानी और यह यात्रा जारी रखी।

बनाया विश्व रिकॉर्ड

पर्यावरण संरक्षण की जागरूकता फैलाने के लिए मैंने देश भर में साइकिल यात्राएं की है और सबसे लंबी साइकिल यात्रा का विश्व रिकॉर्ड भी बनाया है। यह यात्रा 27 जनवरी, 2019 को जम्मू से शुरू होकर 20 राज्यों व छह केंद्रशासित प्रदेशों में 30,121 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए 20 अप्रैल, 2022 को जयपुर में समाप्त हुई। इस दौरान मैंने विभिन्न राज्यों में 93 हजार से ज्यादा पौधे लगाए और पर्यावरण व जल संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक भी किया।

बेजुबानों के लिए

साइकिल यात्रा में मैं पेड़-पौधों के साथ ही अन्य पशु-पक्षियों की भी रक्षा करता हूं। यात्रा में अब तक मैंने 170 हिरण छह मोर पांच मोरनी, दो नीलगाय और दो बाज की जान बचाई है। बेजुबानों की प्यास बुझाने के लिए मैंने 20 से ज्यादा सूखे तालाबों को लोगों की मदद से पुनर्जीवित किया है। लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूक करने के साथ ही मैंने 18 बार रक्तदान भी किया है।

साभार : अमर उजाला